कोटा प्रजामंडल के संस्थापक पण्डित नयनूराम शर्मा | Pandit Nayanuram Sharma


कोटा-बूंदी प्रजामंडल संस्थापक पण्डित नयनूराम शर्मा | Pandit Nayanuram Sharma


कोटा-बूंदी प्रजामंडल संस्थापक पण्डित नयनूराम शर्मा | Pandit Nayanuram Sharma

पण्डित नयनूराम शर्मा का जीवन परिचय 

कोटा राज्य की पुलिस में थानेदारी पद पर नियुक्त पण्डित नयनूराम शर्मा की मुलाकात जब किसान केसरी विजयसिंह पथिक से हुई उनकी बातो से उन्हें देश सेवा का ऐसा नशा चढ़ा कि पुलिस की नोकरी को लात मारकर सदा के लिए काटो के मार्ग के पथिक बन गए।

विजयसिंह पथिक के द्वारा वर्धा में स्थापित राजस्थान सेवा संघ की कोटा शाखा के अध्यक्ष पद सम्भालने के साथ ही अपने हाड़ौती क्षेत्र में जन जाग्रति का शंखनाद कर दिया।

पण्डित जी को कोटा राज्य की सीमा से निष्कासित कर दिया गया। बाद में दिसम्बर ,1922 में बूँदी जिले के निमाणा गांव में एक परिचित ब्राह्मण परिवार में भोजन करते समय पुलिस ने उन्हें धोखे से गिरफ्तार कर बूँदी के तारागढ़ दुर्ग की एक छोटी सी कोठरी में चार वर्षो तक कैद करके रखा गया।

चार वर्ष बाद जब इनकी रिहाई हुई तब पण्डित जी ने रामगंज मंडी क्षेत्र में लोक शिक्षण के लिए 42 पाठशालाएँ स्थापित की।

पंडित नयनूराम शर्मा कोटा में जन जागरूकता के लिए उत्तरदायी राजस्थान सेवा संघ के कार्यकर्ता थे। पंडित नयनूराम शर्मा ने 1918 में कोटा में प्रजा प्रतिनिधि सभा की स्थापना की।

इसी के साथ कोटा-बूंदी प्रजामण्डल की स्थापना की और 1939 में कोटा राज्य प्रजामण्डल के वार्षिक अधिवेशन की अध्यक्षता की। 14 अक्टूबर , 1941 को रामगंज मंडी और निमाणा  जंगलो में अज्ञात हमलावरों ने इनकी हत्या कर दी।


FAQ. 


पण्डित नयनूराम शर्मा प्रजामण्डल आन्दोलन के प्रसिद्ध नेता थे ?

- कोटा 

कोटा राज्य प्रजामण्डल के वार्षिक अधिवेशन की अध्यक्षता कब और किसने की ?

- पंडित नयनूराम शर्मा 1939 में 


कोटा प्रजामंडल की स्थापना कब हुई थी?

- कोटा प्रजा मंडल की स्थापना 1939 में नयनूराम शर्मा ने की थी। उम्मेद सिंह द्वितीय की उदार नीतियों के कारण यह संगठन अपने उद्देश्य को प्राप्त करने में असफल रहा। रियासतों में एक जिम्मेदार सरकार स्थापित करने के उद्देश्य से कोटा प्रजा मंडल की स्थापना की गई थी।


कोटा का गठन किसने किया था?

- 1579 में बूंदी के एक शासक द्वारा कोटा राज्य को बूंदी के एक पसंदीदा युवा राजकुमार राव माधो सिंह के लिए उपहार के रूप में बनाया गया था, जिनके बारे में कहा जाता है कि उन्होंने चौदह वर्ष की उम्र में खुद को एक सफल और साहसी सेनापति के रूप में साबित किया था।


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