महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय | maharaja sawai man singh II
महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय | maharaja sawai man singh II
जन्म : 21 अगस्त , 1911 ई.
पिता : माधोसिंह द्वितीय
माता : सुगन कँवर
राज्याभिषेक : 18 सितम्बर , 1922 ई.
अन्य नाम : मोर मुकुट सिंह
महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय का जीवन परिचय
महाराजा माधोसिंह द्वितीय के बाद उनके पुत्र सवाई मानसिंह द्वितीय जयपुर के महाराजा बने। इनका राज्याभिषेक समारोह 18 सितम्बर , 1922 को किया गया। अतः अवयस्कता के कारण जयपुर का शासन प्रबंध 6 सदस्यों की समिति द्वारा किया गया। इन्होने अपनी शिक्षा पूरी होने के बाद 1 वर्ष रॉयल मिलिटरी एकेडमी में सैनिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण प्राप्त किया था। ये जयपुर के एक मात्र महाराजा थे जिन्होंने औपचारिक रूप से सैनिक शिक्षा प्राप्त की थी। 25 अप्रैल 1931 को सरकार द्वारा उन्हें लेफ्टिनेंट का पद दिया गया।
महाराजा सवाई मानसिंह पोलो के अच्छे खिलाडी थे। इस खेल के कारण इन्होने विश्व भर में प्रसिध्दी पाई। इन्होने जयपुर में एक बड़ा पोलो मैदान रामबाग पोलो ग्राउण्ड बनवाया।
इन्होने अपनी महारानी हेतु मोती डूँगरी पर तख्त-ए-शाही नामक महलो का निर्माण अंग्रेजी वास्तुकला शैली पर करवाया।
महाराजा मानसिंह एक अच्छे विमान चालक भी थे। जयपुर का सांगानेर हवाई अड्डा इन्ही की देन है। द्वितीय विश्व युध्द में इनकी सेना ने अंग्रेज सरकार की साहयता की थी। वह बर्मा, इटली, मिस्र, लीबिया, साइप्रस आदि देशो से लड़ने गई थी।
सवाई मानसिंह द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में प्रयास
राजस्थान में जयपुर पहला राज्य था जिसने शिक्षा की सुविधाओं के विस्तार के लिए सर्वप्रथम उच्चस्तर पर प्रयास किया था। इन प्रयत्नों के फलस्वरुप सन् 1939 के अन्त तक 1200 शिक्षण संस्थाएँ बन गई। छात्रों की संख्या 64 हजार से भी अधिक थी। महाराजा सवाई मानसिंह जी ने अपने राज्य में प्राथमिक शिक्षा को नि:शुल्क बनाया। उन्होंने कन्या शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया। इस कार्य में उन्होंने महारानी गायत्री देवी जी से भी पुरे सहयोग को प्राप्त किया। उन्होंने महाराणी गायत्री देवी पब्लिक स्कूल की स्थापना की। जयपुर सरकार ने राजस्थान विश्विद्यालय बनवाये। यह राज्य का पहला विश्विद्यालय था। सन् 1931-32 में जयपुर राज्य शिक्षा पर छ: लाख से अधिक राशि का व्यय किया गया। राजकीय संस्थाओं के अतिरिक्त निजी संस्थाओं की संख्या 524 थी जिनमें से 349 नियमित विद्यालय थे। 175 संस्थाएँ संस्कृत पाठशालाएँ तथा मदरसे के रुप में थी।
महाराजा सवाई मानसिंह जी ने अपने समय में अनेक भवनों का निर्माण करवाया। इनमें महाराजा कॉलेज, सवाई मानसिंह मेडिकल कॉलेज,सवाई मानसिंह अस्पताल, महारानी कॉलेज महारानी गायत्री देवी गल्र्स पब्लिक स्कूल, सवाई मानसिंह गार्डस भवन (अब सचिवालय), अशोक क्लब आदि उनकी परिष्कृत रुचि के परिचायक हैं। उन्होंने रामबाग पैलेस का विस्तार किया, मोतीडूंगरी के किले पर एक सुन्दर महल बनवाया जिसका नाम तख्तेशाही रखा। इसी तरह रेजीडेन्सी को भी सुन्दर पैलेस में परिणित कर दिया गया तथा इसको राजमहल के नाम से पुकारने लगे। इन्होंने डाकघरों का जाल सा बिछा दिया, जयपुर में इसका प्रधान कार्यालय था तथा 33 अपर कार्यालय राज्य के विभिन्न भागों में खोले गये थे। इनके समय में 41 शाखा कार्यालय तथा 23 तारघर कार्यरत थे।
देश स्वतंत्र होने के बाद 30 मार्च , 1949 ई. जयपुर रियासत का वृहत राजस्थान में विलय कर दिया गया तथा इन्हे राजस्थान का पहला राजप्रमुख बनाया गया। ये 1 नवम्बर , 1956 तक इस पद पर रहे।
24 जून , 1970 को लंदन में पोलो खेलते हुए ह्र्दय गति रुक जाने से इनका देहान्त हो गया।
FAQ.
महाराजा मानसिंह द्वितीय जन्म कहाँ हुआ था?
- महाराजा मानसिंह द्वितीय का जन्म जयपुर रियासत के ईसरदा ठिकाने में हुआ था।
जयपुर के अंतिम महाराजा कौन थे?
- जयपुर के अंतिम महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय थे।
मानसिंह द्वितीय का निधन कब हुआ था?
- सवाई मानसिंह द्वितीय का निधन 1970 ई. को हुआ था।
राजस्थान का पहला राजप्रमुख कौन थे ?
- महाराजा सवाई मानसिंह द्वितीय
जयपुर रियासत का वृहत राजस्थान में विलय कब हुआ ?
- 30 मार्च , 1949 ई
सरकार द्वारा महाराजा सवाई मानसिंह लेफ्टिनेंट का पद दिया कब गया ?
- 25 अप्रैल 1931
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