मांगणियार समुदाय की पहली प्रसिध्द मांड गायिका रुकमा बाई | rukma bai rajasthan folk music


मांगणियार समुदाय की पहली प्रसिध्द मांड गायिका रुकमा बाई | rukma bai rajasthan folk music


मांगणियार समुदाय पहली प्रसिध्द मांड गायिका रुकमा बाई | rukma bai



रुकमा बाई का जीवन परिचय 

राजस्थान के रेगिस्तानों में बसी मांगणियार जाति को निर्धन एवं अविकसित होने के कारण पिछड़ा एवं दलित माना जाता है। इसके बाद भी वहां के लोक कलाकारों ने अपने गायन से विश्व में अपना विशिष्ट स्थान बनाया है। पुरुषों में तो ऐसे कई गायक हुए हैं पर विश्व भर में प्रसिद्ध हुई पहली मांगणियार गायिका रुकमा देवी है जिसे ‘थार की लता’ भी कहा जाता है।

रुकमा बाई का जन्म 1945 में बाड़मेर से 50 किलोमीटर दूर जानकी गाँव में हुआ था। इन्होने बचपन से अपनी माँ से मांड गायन की शिक्षा पाई।


ये मांगणियार नामक मुस्लिम दलित समुदाय की थी , जिनका परंपरांगत पेशा मांड गायन था। मांगणियार समुदाय में वैसे तो कई मशहूर कलाकार हुए , पर रुकमा बाई अपने समुदाय की एकमात्र ख्यात कलाकार थी।

इन्हे इसके लिए काफी संघर्ष करना पड़ा। पोलियोग्रस्त एवं विधवा रुकमा बाई ने जब जीवन-यापन के लिए रानी भटियानी मंदिर में गाना शुरू किया तो इन्हे अपने समुदाय का विरोध झेलना पड़ा।

 बाद में ये अपने को मांगणियार समुदाय पहली प्रसिध्द मांड गायिका के रूप में स्थापित करने  सफलता पाई। इन्होने देश और देश से बाहर लन्दन , अमेरिका आदि में अपनी गायकी सफल प्रदर्शन किया।

इन्हे मध्यप्रदेश सरकार द्वारा राष्ट्रीय देवी अहिल्या सम्मान 2004 से सम्मानित किया गया। रुकमा बाई थार की लता उपनाम से जानी जाती है। 

पश्चिमी राजस्‍थान के मांगणियार नामक दलित समुदाय की माण्‍ड गायिका रुकमा बाई का  21 जुलाई 2011 को 66 वर्ष की आयु में इनका देहांत हो गया। ‘थार की लता’ से नाम से मशहूर रुकमा के निधन के मौके पर राजकीय शोक तो दूर, मुख्‍यधारा के मीडिया में उनकी मृत्‍यु खबर भी नहीं बन सकी। बाजार द्वारा संचालित युग का एक प्रमुख अलिखित नियम है- उस हर व्‍यक्ति और वस्‍तु की उपेक्षा करना जिसका मुनाफे से कोई संबंध नहीं है। रुकमा भी इसी उपेक्षा की शिकार होकर चली गई। 

FAQ. 

रुकमा बाई का जन्म कब हुआ था ?

- 1945

रुकमा बाई का जन्म कहा हुआ था ?

- इनका जन्म बाड़मेर से 50 किलोमीटर दूर जानकी गाँव में हुआ था।

थार की लता के उपनाम से किसे जाना जाता है ?

- रुकमा बाई को

रुकमा बाई का दहन कब हुआ ?

21 जुलाई 2011 को

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