एक अग्रणी नेता और समाज सुधारक अहिल्यादेवी होलकर का जीवन परिचय | Ahilyabai Holkar In Hindi Biography
अहिल्यादेवी होलकर मराठा साम्राज्य की एक महिला तथा इतिहास-प्रसिद्ध सूबेदार मल्हारराव होलकर के पुत्र खण्डेराव की धर्मपत्नी थीं। उन्होने माहेश्वर को राजधानी बनाकर शासन किया।
अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत-भर के प्रसिद्ध तीर्थों और स्थानों में मन्दिर बनवाए, घाट बँधवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया, मार्ग बनवाए-काशी विश्वनाथ में शिवलिंग को स्थापित किया, भूखों के लिए अन्नसत्र (अन्यक्षेत्र) खोले, प्यासों के लिए प्याऊ बिठलाईं, मन्दिरों में विद्वानों की नियुक्ति शास्त्रों के मनन-चिन्तन और प्रवचन हेतु की।
अहिल्यादेवी होलकर का जीवन परिचय | Ahilyabai Holkar In Hindi Biography
अहिल्याबाई का जन्म 31 मई 1725 को चौंडी नामक गाँव में हुआ था। अहिल्याबाई के पिता माणकोजी शिंदे जो क्षेत्र के पाटील थे। दस-बारह वर्ष की आयु में उनका विवाह हुआ। उनतीस वर्ष की अवस्था में विधवा हो गईं। पति का स्वभाव चंचल और उग्र था। वह सब उन्होंने सहा। फिर जब बयालीस-तैंतालीस वर्ष की थीं, पुत्र मालेराव का देहान्त हो गया। जब अहिल्याबाई की आयु बासठ वर्ष के लगभग थी, दौहित्र नत्थू चल बसा। चार वर्ष पीछे दामाद यशवन्तराव फणसे न रहा और इनकी पुत्री मुक्ताबाई सती हो गई। दूर के सम्बन्धी तुकोजीराव के पुत्र मल्हारराव पर उनका स्नेह था; सोचती थीं कि आगे चलकर यही शासन, व्यवस्था, न्याय और प्रजारंजन की डोर सँभालेगा; पर वह अन्त-अन्त तक उन्हें दुःख देता रहा।
अहिल्यादेवी का जीवन और कार्यक्षेत्र
सामर्थ्य और शासन: अहिल्यादेवी ने अपने पति की मृत्यु के बाद संबलकर मराठा साम्राज्य का प्रशासन संभाला। उन्होंने उपनगरों की प्रबंधन की और समृद्धि और सुरक्षा की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए।
सामाजिक सुधार: अहिल्यादेवी ने समाज में बलात्कार, सती प्रथा और दासत्व जैसी दुर्भाग्यपूर्ण प्रथाओं के खिलाफ अपनी आवाज उठाई। उन्होंने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की और महिलाओं के लिए शिक्षा की महत्वपूर्णता को प्रमोट किया।
धार्मिकता: अहिल्यादेवी ने धार्मिकता में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने श्रीमद्भगवद गीता के प्रचार का समर्थन किया और धार्मिक अनुष्ठान को महत्व दिया।
विशेष रचनाएँ: अहिल्यादेवी ने मराठी भाषा में कविताएँ, भक्तिगीत, लघु ग्रंथ और पत्रिकाएँ लिखी। उनकी रचनाएँ उनके समाज सुधारक कार्यों और धार्मिक विचारधारा को प्रकट करती हैं।
महाराष्ट्र साम्राज्य की बहुमताप्राप्त महिला शासक: अहिल्यादेवी ने समाज सुधार के क्षेत्र में अपने प्रयासों से महाराष्ट्र साम्राज्य में महिलाओं को उच्च स्थान पर पहुँचाया और उन्हें सामाजिक परिवर्तन में योगदान दिया।
अहिल्याबाई ने अपने राज्य की सीमाओं के बाहर भारत-भर के प्रसिद्ध तीर्थों और स्थानों में मन्दिर बनवाए, घाट बँधवाए, कुओं और बावड़ियों का निर्माण किया, मार्ग बनवाए-सुधरवाए, भूखों के लिए अन्नसत्र (अन्यक्षेत्र) खोले, प्यासों के लिए प्याऊ बिठलाईं, मन्दिरों में विद्वानों की नियुक्ति शास्त्रों के मनन-चिन्तन और प्रवचन हेतु की। और, आत्म-प्रतिष्ठा के झूठे मोह का त्याग करके सदा न्याय करने का प्रयत्न करती रहीं-मरते दम तक। ये उसी परम्परा में थीं जिसमें उनके समकालीन पूना के न्यायाधीश रामशास्त्री थे और उनके पीछे झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई हुई। अपने जीवनकाल में ही इन्हें जनता ‘देवी’ समझने और कहने लगी थी। इतना बड़ा व्यक्तित्व जनता ने अपनी आँखों देखा ही कहाँ था। जब चारों ओर गड़बड़ मची हुई थी। शासन और व्यवस्था के नाम पर घोर अत्याचार हो रहे थे। प्रजाजन-साधारण गृहस्थ, किसान मजदूर-अत्यन्त हीन अवस्था में सिसक रहे थे। उनका एकमात्र सहारा-धर्म-अन्धविश्वासों, भय त्रासों और रूढि़यों की जकड़ में कसा जा रहा था। न्याय में न शक्ति रही थी, न विश्वास। ऐसे काल की उन विकट परिस्थितियों में अहिल्याबाई ने जो कुछ किया वह चिरस्मरणीय है।
उपलब्धियां
अहिल्याबाई ने इंदौर को एक छोटे-से गांव से खूबसूरत शहर बनाया। मालवा में कई किले और सड़कें बनवाईं। उन्होंने कई घाट, मंदिर, तालाब, कुएं और विश्राम गृह बनवाए। न केवल दक्षिण भारत में बल्कि हिमालय पर भी। सोमनाथ, काशी, गया, अयोध्या, द्वारका, हरिद्वार, कांची, अवंती, बद्रीनारायण, रामेश्वर, मथुरा और जगन्नाथपुरी `आदि।
अहिल्याबाई की मृत्यु
राज्य की चिन्ता का भार और उस पर प्राणों से भी प्यारे लोगों का वियोग। इस सारे शोक-भार को अहिल्याबाई का शरीर अधिक नहीं संभाल सका। और 13 अगस्त सन् 1795 को उनकी जीवन-लीला समाप्त हो गई। अहिल्याबाई के निधन के बाद महाराजा तुकोजी राव ने राज्य की शासन व्यवस्था को संभाला।
FAQ.
1. अहिल्यादेवी होलकर कौन थी?
- अहिल्यादेवी होलकर, मराठा साम्राज्य की महान महिला शासक और समाज सुधारक थीं। उन्होंने अपने कार्यों से महिलाओं के अधिकारों की समर्थन किया और सती प्रथा, दासत्व आदि जैसी दुर्भाग्यपूर्ण प्रथाओं के खिलाफ उत्कृष्ट योगदान दिया।
2. अहिल्यादेवी का जन्म कब हुआ था?
- अहिल्यादेवी का जन्म 31 मई 1725 को हुआ था।
3. अहिल्यादेवी का जीवनी क्या है?
- अहिल्यादेवी ने मराठा साम्राज्य के सेनापति भीमराव पेशवे की पत्नी के रूप में अपने पति की मृत्यु के बाद साम्राज्य के प्रशासन में भाग लिया। उन्होंने समाज में सती प्रथा, दासत्व, बाल विवाह आदि के खिलाफ अपनी आवाज उठाई और महिलाओं के अधिकारों की रक्षा की।
4. उनके योगदान में क्या शामिल है?
- अहिल्यादेवी के योगदान में महिलाओं के अधिकारों की प्रोत्साहन, समाज में सुधार, और सती प्रथा, दासत्व आदि जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ लड़ाई शामिल है। उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा को महत्वपूर्ण बनाया और समाज में जातिवाद और दुर्भाग्यपूर्ण प्रथाओं के खिलाफ आवाज उठाया।
5. अहिल्यादेवी की रचनाएँ क्या थीं?
- अहिल्यादेवी ने मराठी भाषा में कविताएँ, भक्तिगीत, लघु ग्रंथ, और पत्रिकाएँ लिखीं। उनकी रचनाएँ उनके समाज सुधारक कार्यों और धार्मिक विचारधारा को प्रकट करती हैं।
6. अहिल्यादेवी का निधन कब हुआ था?
- हिल्यादेवी का निधन 13 जनवरी 1795 को हुआ था।
7. अहिल्यादेवी को किस नाम से भी जाना जाता है?
- अहिल्यादेवी को 'अहिल्याबाई होलकर' के नाम से भी जाना जाता है।
8. अहिल्यादेवी के कार्यों का महत्व क्या है?
- अहिल्यादेवी के कार्यों का महत्व उनके महिलाओं के अधिकारों की प्रोत्साहन, समाज में सुधार, और कुप्रथाओं के खिलाफ लड़ाई में है। उन्होंने महिलाओं के लिए शिक्षा को महत्वपूर्ण बनाया और समाज में बदलाव की संभावना दिखाई।
9. अहिल्यादेवी की आदर्श महिला शासक के रूप में क्या उनकी महत्वपूर्ण बातें थीं?
- अहिल्यादेवी को आदर्श महिला शासक के रूप में उनकी समाज सुधारकी भूमिका, महिलाओं के अधिकारों की रक्षा, और कुप्रथाओं के खिलाफ उनकी सख्त आवाज उठाने की क्षमता के लिए प्रसिद्धा किया जाता है।
10. अहिल्यादेवी के कार्यों का समाज पर क्या प्रभाव पड़ा?
- अहिल्यादेवी के कार्यों का समाज पर गहरा प्रभाव पड़ा। उनके सुधारकी योगदान से समाज में महिलाओं के अधिकारों की मान्यता बढ़ी, और कुप्रथाओं के खिलाफ जनजागरूकता बढ़ी। उनकी सोच और प्रेरणा आज भी महिलाओं के समाज में समानता और सुधार की दिशा में मार्गदर्शन करती है।