पंडित झाबरमल शर्मा का जीवन परिचय | Pandit Jhabarmal Sharma Hindi Biography
पंडित झाबरमल शर्मा का जीवन परिचय
जन्म : 1888
जन्म स्थान : जसरापुर गाँव
राष्ट्रीय सम्मान : पद्म भूषण
पिता : पंडित राम दयाल शर्मा
पत्रकारिता के भीष्म पितामह के रुप में विख्यात इस विभूति का जन्म जसरापुर गाँव में सन 1888 में हुआ। इनके पिता रामदयाल शर्मा अपने समय के संस्कृत पंडित एवं चिकित्सक थे। इनकी बाल्य शिक्षा घर पर ही हुई। युवावस्था में कलकत्ता जाकर डॉ. गणनाथ सेन टोले स्थित शिक्षा निकेतन में बंगला, अंग्रेजी, संस्कृत का अध्ययन किया।
पंडित झाबरमल्ल शर्मा की रचनाएं एवं संपादित पुस्तकें
पंडित झाबरमल्ल शर्मा द्वारा अनेक स्वरचित रचनाएँ और सम्पादित पुस्तकें लिखी गई हैं। जिनमे “क्षत्रिय नरेश और विवेकानंद” और गुलेरी ग्रंथावली आदि है। अपने जीवन के अंतिम दिनों में “राजस्थान और नेहरू-परिवार” ग्रन्थ का विमोचन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी द्वारा 26 मई 1982 को प्रधानमंत्री आवास पर किया गया था।
पंडित झाबरमल्ल शर्मा की पत्रकारिता में रूचि
पंडित झाबरमल्ल शर्मा हिन्दी के पसिध्द पत्रकार पण्डित दुर्गाप्रसाद मिश्र से सम्पर्क में के बाद पंडित झाबरमल्ल शर्मा की रूचि पत्रकारिता की ओर बढ़ गयी। वर्ष 1905 में कलकत्ता में ही रहकर इन्होनें “ज्ञानोदय” पत्र के संपादन का कार्य किया। इसके साथ ही ये “मारवाड़ी बन्धु” के संपादन का कार्य भी किया करते थे। वर्ष 1909 में इन्होने “भारत” साप्ताहिक पत्र का भी संपादन का कार्य किया। यह पत्र मुंबई में प्रकाशित होता था। उस समय सिर्फ “भारत” ही सिर्फ एक ऐसा पत्र था, जिसमे सभी पृष्ठों पर चित्र प्रकाशित होते थे। इन्होनें अखिल भारतीय माहेश्वरी सभा के मुखपत्र के भी सम्पादन का कार्य भी किया।
- 1905 ई. में पंडित दुर्गादास मिश्र द्वारा पत्रकारिता की शिक्षा ली व ज्ञानोदय का सम्पादन और मारवाड़ी बंधु का सम्पादन किया।
- 1909 ई. में बंबई से भारत का सम्पादन किया।
- 1914 ई. में कलकत्ता समाचार का सम्पादन किया।
- 1925 ई. में हिन्दू संसार का प्रकाशन किया।
पंडित जी ने इतिहास पर अनेक ग्रन्थ लिखे और सम्पादन किया। इन्होने पत्रकारिता और साहित्य के क्षेत्र को नई दिशा दी। इन्होने ने अपनी अंतिम पुस्तक नेहरू वंशावली और राजस्थान लिखी। इन्हे राष्ट्रीय सम्मान पद्म भूषण से सम्मानित किया गया। पंडित झाबरमल शर्मा उच्चकोटी के पत्रकार , इतिहासकार , साहित्यकार होने के साथ-साथ संस्कृत के प्रसिध्द विद्वान भी थे।